maha kumbh 2025 is a unique example of the excellent management system of uttar pradesh

“मैं कहाँ और आप कहाँ, यह एहसास ही तो नहीं, मुझमें और आप में! इसलिए अनवरत संघर्षरत हैं, अपनी एहमियत को स्थापित करने की, संघर्ष भरी! कंटकाकीर्ण जिंदगी की यात्रा में!” यानी मैं और आप के अंतर और विभिन्न पदेन संघर्षपूर्ण यात्रा से प्राप्त प्रतिष्ठित व्यक्तित्व की ऊंचाइयों पर पहुंचे, संत, संन्यासी, राजनीतिज्ञ, न्याय की मूर्ति न्यायाधीश, लोकतांत्रिक मूल्यों की प्रतिष्ठा, जनप्रतिनिधित्व के प्रतीक, समाज की व्यवस्था को यथार्थ की ऊसर, अनुपजाऊ भूमि के साथ उर्वरा भूमि में तब्दील करने को प्रतिबद्ध, विभिन्न प्रलोभनों एवं व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए समष्टि की समृद्धि का आवरण होकर नितांत व्यैक्तिक उपलब्धियों के लिए प्रयासरत, सभी वर्गों के लोग! क्योंकि हम भारत के लोग ही भारतीय लोकतंत्र की आन-बान-शान हैं।

परन्तु प्रत्येक वर्ग के उच्च शिखर पर बैठे और उस वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे प्रतिष्ठित भारत के नागरिक, चाहे वह पूज्य संत हो, माननीय राजनीतिज्ञ हों, न्याय के लिए प्रतिबद्धता के साथ जनता की उम्मीदों के न्याय का प्रकाश पुंज न्यायाधीश हो और कार्यपालिका में नीचे से सर्वोच्च स्तर पर कार्यरत कर्मचारी-अधिकारी गण, विशेष रूप से सभी विभागों के कर्मठ कर्मचारी और अधिकारियों के साथ पीसीएस, आईएएस के रूप में अनवरत, निरंतर बिना थके सभी की आलोचना, सभी की प्रत्यालोचना एवं सभी की आंखों में उनकी व्यवस्था, यद्यपि वह व्यवस्था उनके लिए नहीं होती है, से जुड़े सभी लोग वंदनीय हैं। 

क्योंकि समाज की अहर्निश सेवा के लिए, प्रबंधकीय व्यवस्था में कोई चूक न हो, आपदा की स्थिति में फ्रंट पर उतर कर कार्य करने की चुनौती को पूर्ण करने के लिए दिए गए उत्तरदायित्व बोध के निर्वहन के लिए अतिरिक्त रूप से कुछ व्यवस्था अंग्रेजी हुकूमत की दूरदर्शिता पूर्ण सोच के साथ आज भी चल रही है, या जीवंत है। वह अनिवार्य है और रहनी चाहिए। परंतु कुछ लोग इस अचूक प्रबंधकीय व्यवस्था की भी आलोचना करते हैं। इसलिए उन्हें सद्बुद्धि आनी चाहिए।

दरअसल, जिस प्रकार उत्तरप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी, जिनका मैंने समग्र अध्ययन किया है और नजदीक देखा है, वह तपस्वी, संन्यासी, महंत और कुशल प्रशासनिक छवि के ऐसे अदम्य साहसिक व प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी युगपुरुष हैं, जो निर्भीक, निडर और न्यायप्रिय कार्यों के लिए कार्यपालिका जो सदैव शासनादेश के अधीन कार्य करती है, के साथ पुलिस व्यवस्था जो शांति और कानून व्यवस्था तथा अपराध नियंत्रण के लिए सभी कार्यपालक मजिस्ट्रेट एवं व्यवस्था के साथ समन्वय स्थापित कार्य करती है, इन सभी को इतना सुस्पष्ट आदेश/निर्देश देते हुए मैंने किसी अन्य मुख्यमंत्री को न कभी देखा और न कभी सुना है। लिहाजा, यह कहना उपयुक्त होगा कि “मैंने उसको जब-जब देखा, लोहा देखा, लोहे जैसा- तपते देखा, गलते देखा, ढलते देखा, मैंने उसको गोली जैसा चलते देखा!” वास्तव में माननीय योगी जी के व्यक्तित्व के अध्ययन से मुझे केदारनाथ अग्रवाल की उपरोक्त पंक्तियां सायास याद आ गईं, क्योंकि योगी जी में वेदना एवं चुनौती पूर्ण समय में भी हमने लौह पुरूष के साहस का प्रतिबिंब देखा है।

इसलिए दिव्य महाकुंभ 2025 अपनी आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, धार्मिक आस्था के समागम के रूप में विश्व पटल पर स्थापित करने में सफल साबित हुआ है। वहीं महाकुंभ में तैनात सभी अधिकारियों/कर्मचारियों का अनुकरणीय कार्य और अदम्य साहस प्रशंसनीय है। यूँ तो ऐसे विशाल आयोजन और करोड़ों (अनन्त) की संख्या में आए अनगिनत श्रद्धालुओं की भीड़ में कुछ मानवीय/यंत्रीय त्रुटियां स्वाभाविक हैं। परंतु माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय मुख्यसचिव जी की दूरदर्शी सोच एवं समग्र चिंता ने विश्व में प्रयागराज की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित किया है।साथ ही इस पावन भूमि पर आयोजित दिव्य महाकुंभ 2025 को प्रत्येक दृष्टि से सफल और श्रद्धालुओं की आस्था के अनुरूप बनाकर, पाप और पुण्य की चिरकाल से चली आ रही सनातनी आस्था की भारतीय संस्कृति को सदैव सदैव के लिए अक्षुण्ण बना दिया है।

उत्तरप्रदेश सरकार ने महाकुम्भ नगर में श्रद्धालुओं को अलौकिक अनुभूति प्रदान करने के लिए कुछ खास जनसुविधाओं को विकसित किया है जो इस प्रकार हैं- मेला परिसर को 4,000 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत किया गया है, जिसको 25 सेक्टर में विभाजित करके तमाम जनोपयोगी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। वहीं, अपने निजी वाहनों से आने वाले भक्तों के लिए 1,850 हेक्टेयर क्षेत्र में अलग-अलग पार्किंग की व्यवस्था की गई है ताकि यातायात व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे। चूंकि मेला के दौरान प्रतिदिन करोड़ों लोगों के आने का अनुमान है, इसलिए उनके निमित्त 1,50,000 शौचालय बनवाए गए हैं। लोगों को रहने में कठिनाई नहीं हो, इसके वास्ते 1,60,000 सुसज्जित टेंट लगवाए गए हैं।

इसी तरह से पूरे मेला क्षेत्र में 67,000 एलईडी स्ट्रीट लाइट, 200 वाटर एटीएम, 85 नलकूपों की स्थापना की गई है। निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए 2 नए विद्युत सब स्टेशन बनाए गए हैं, जबकि 66 नए विद्युत ट्रांसफॉर्मर लगवाए गए हैं। इसके अलावा 2,000 सोलर हाइब्रिड स्ट्रीट लाइट और 1,249 किमी पेयजल पाइपलाइन बिछाई गई है। 30 पांटून ब्रिज, 400 किमी में पक्के घाटों की स्थापना, 7 रिवर फ्रंट रोड और 12 किमी में अस्थायी घाट बनाया गया है, ताकि किसी को भी स्नान करने में असुविधा नहीं हो। वहीं, 7,000 बस का बेड़ा, 550 शटल बस का बेड़ा और 7 नए बस स्टॉप का निर्माण करवाया गया है ताकि मेला परिसर तक पहुंचने में भक्तों को सहूलियत मिले। इसके वास्ते 14 नए फ्लाईओवर एवं अंडरपास तथा 11 नए कॉरिडोर का विकास किया गया हैं। वहीं, केंद्र सरकार के मातहत 3,000 स्पेशल सहित 13,000 रेल गाड़ियां चलवाई गई हैं। वहीं,  प्रयागराज एयरपोर्ट पर नया टर्मिनल भी बनवाया गया है ताकि देश-विदेश से वायु मार्ग द्वारा आने वाले भक्तों को भी कोई दिक्कत नहीं हो।

वहीं, राज्य सरकार की ओर से महाकुंभ परिसर को स्वस्थ, स्वच्छ और सुरक्षित रखने के लिए भगीरथ प्रयास किये गए हैं। स्वस्थ महाकुम्भ के नजरिए से सरकारी/प्राइवेट अस्पतालों में 6,000 बेड तैयार करवाए गए हैं और मेला क्षेत्र में 4338 चिकित्सक तैनात किए गए हैं। वहीं, 125 रोड एम्बुलेंस, 7 रिवर एम्बुलेंस एवं एक एयर एम्बुलेंस तैनात किया गया है। श्रद्धालुओं के लिए 6,000 बेड आरक्षित हैं। अपितु, स्वच्छ महाकुम्भ के उद्देश्य से 850 समूहों में 10,200 कर्मियों की तैनाती सुनिश्चित की गई है। इनमें से स्वच्छता निगरानी के लिए 1,800 कर्मियों की गंगा नदी में ही तैनाती की गई है। महाकुम्भ नगर में 25,000 लाइनर बैगयुक्त डस्टबिन, 300 सक्शन गाडियां, GPS से लैस 120 टिपर-हापर तथा 40 कॉम्पेक्टर ट्रकों की व्यवस्था है। जबकि, सुरक्षित महाकुम्भ के ध्येय से 37,000 पुलिसकर्मी एवं 14,000 होमगार्ड जवानों की तैनाती की गई है। इनमें 2,750 एआई बेस्ट सीसीटीवी, सीएमडी टीवी स्क्रीन लगाए गए हैं। इसके अलावा, 3 जल पुलिस स्टेशन, 18 जल पुलिस कंट्रोल रूम और 50 फायर स्टेशन स्थापित किये गए हैं। इसके अतिरिक्त, 50 फायर स्टेशन, 20 फायर पीन्ट, 50 वॉच टावर, 4,300 कायर हाइड्रेट लगवाए गए हैं।

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की समग्र सुविधा और अद्यतन जानकारी के लिए कुछ प्रमुख आकर्षण विकसित किये गए हैं, जो इस प्रकार है- पहला, श्रद्धालुओं-पर्यटकों की मदद के लिए ट्रैवल गाइड तैनात किए गए हैं। दूसरा, उनके मार्गदर्शन के लिए कुम्भ सहायक एआई (AI) चैटबॉट विकसित किया गया है। तीसरा, भक्तों की मानसिक शांति के लिए बर्ड साउंड थेरेपी की व्यवस्था है। चौथा, देशभर के हस्तशिल्पियों/कारीगरों का यहां संगम हुआ है, जिससे लोगों को तरह-तरह के सामानों  की अनुभूति मिलेगी। पांचवां, संगम में श्रद्धालुओं को बोट राइड की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। छठा, वेदों-पुराणों की कथा का बखान करते चौराहे लोगों को दर्शनीय लगते हैं। सातवां, सांस्कृतिक मंचों पर गायन, वादन व नृत्य प्रस्तुतियां उनका मनोरंजन करती हैं और प्राचीन कालीन दिव्य भारत से जोड़ती हैं। आठवां, प्रत्येक दिशा में वाहन पार्किंग की उत्तम व्यवस्था है और प्रत्येक पॉइंट पर ट्रैफिक पुलिस की तैनाती है ताकि तीर्थयात्रियों को कोई असुविधा नहीं हो। नवां, हाईवे के थानों पर भी चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई गई है, ताकि किसी की जान जोखिम में ना पड़े।

जहां तक विभिन्न विभागों का सवाल है तो लोकनिर्माण विभाग, रेलवे विभाग, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग, नगरीय विकास विभाग, विद्युत विभाग, (अभियांत्रिकी के विभिन्न संकाय), अग्निशमन विभाग, और अंततः सिंचाई विभाग, राहत एवं आपदा विभाग, राजस्व एवं पुलिस विभाग, अनेकों ऐसे विभाग एवं समन्वयक विभाग, जैसे (गोपनीय विभाग), तथा न्याय विभाग, और लोकतांत्रिक व्यवस्था के सभी स्तम्भ, विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, प्रेस, जिनके समन्वय एवं सहयोग से 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं द्वारा महाकुंभ 2025 में धर्म, आस्था, आध्यात्मिकता के पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाई। सभी का उत्कृष्ट कार्य है, परन्तु वाह-वाह लेने के लिए कुछ विभागों में होड़ लग जाती है। यह उचित नहीं है। राम सेतु के निर्माण के समय सभी कार्य कर रहे थे। एक गिलहरी भी तिनका-तिनका लाकर राम सेतु निर्माण में कार्य में लगी थी, तभी किसी ने कहा कि आप क्या कर रही हैं तो गिलहरी का जवाब था कि जिस दिन राम सेतु की प्रशंसा होगी उसमें मेरे सहयोग की अनदेखी कोई नहीं कर पाएगा।

इस प्रकार की सार्थक व्यवस्था से सुसज्जित महाकुम्भ अखंड सनातन गर्व और हिन्दू पर्व की दिव्यता-भव्यता, मानवीय मूल्यों की एकता को आलोकित करने वाला एक अविचल और अलौकिक अनुभूति है। इसकी सफलता के लिए माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की प्रशासनिक दक्षता एक ऐसा दिव्य प्रयास है जहाँ सबकुछ आँखों के सामने ठहर जाता है कि हम ऐसे महा प्रयास की कैसे प्रशंसा करें। वैसे तो सियासी निंदक अपने-अपने राजनैतिक लोभ वश ऐसी धर्म दीक्षा की निंदा करते हैं। वे लोग सामूहिक सरकारी व सनातनी प्रयासों में कमी ढूंढते हैं, परन्तु यह कड़वा सच है कि कमी कहीं नहीं है। किसी भी व्यवस्था में नहीं है। सभी व्यवस्था सराहनीय है।

महाकाव्य रामायण से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार भी प्रयागराज का महत्व प्रतिपादित होता है, क्योंकि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने भारद्वाज मुनि के प्रयागराज आश्रम में ही विश्राम किया था। तब मुनि वर ने उन्हें चित्रकूट जाने की सलाह दी थी। वहीं, लंका विजय के बाद भी भगवान श्रीराम ने इस स्थान पर लौटकर मुनि का आशीर्वाद लिया। इसलिए यह ऐतिहासिक घटना इस आश्रम को और प्रयागराज को अधिक श्रद्धेय बनाती है।

लेखक को सौभाग्य प्राप्त है प्रयागराज की तपोभूमि में कर्म साधना का। अतः मैं भाव-विभोर हूँ और अश्रुपूर्ण भी हूँ, प्रयागराज की महिमा और शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए अलौकिक प्रतिभाओं के उस प्रकाश पुंजीय शक्ति को, जिसने अनेक राजनीतिज्ञ दिए, प्रशासक दिए, उद्यमी दिए, न्याय की मूर्ति न्यायाधीश दिए, आदि। वहीं, साहित्यिक मनीषियों के तौर पर धर्मवीर भारती, अज्ञेय, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, पंत, महादेवी वर्मा जैसे कवि, नामवर सिंह, केदारनाथ जी जैसे भाषा वैज्ञानिक दिए, जिनकी प्रखरता और ओजस्वी लेखनता आज भी मशहूर है, उनका आशीर्वाद सर्वत्र मौजूद है। ये सभी  दूरदर्शिता के प्रतीक हैं। वहीं, वैज्ञानिक क्षेत्र में परम पूज्य सत्य प्रकाश जी, श्री राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया जी, जो नाम नहीं वैचारिक प्रेरणा की त्रिवेणी थे और रहेंगे। इन्हीं में से कुछ गुण मुझमें भी मौजूद है।

ज्ञान, विज्ञान और राष्ट्रीयता की ऐसी समग्र त्रिवेणी, जहां प्रयागराज जैसे पवित्र स्थान की परिकल्पना की पूर्ति का आभास करना हो तो समग्रता पूर्वक समझें, पढ़ें और अध्ययन करें। चिंतन-मनन करें। पूज्य प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया जी, मैं उनके प्रति नतमस्तक हूँ, इसलिए आस्था के महाकुंभ में यदि स्नान और दर्शन करना है तो प्रयागराज में कीजिए। यदि ज्ञान, विज्ञान और हिन्दू विचार की त्रिवेणी में स्नान करना है तो प्रो राजेंद्र सिंह रज्जू भैया के बारे में समग्र रूप से अध्ययन कीजिए। 

दरअसल, मुझे उनके पृष्ठभूमि क्षेत्र में कार्य करने का अवसर मिला और उसी विश्वविद्यालय/ज्ञानपीठ में मां सरस्वती की कृपा से एमएससी में भौतिकी विज्ञान में प्रवेश मिला, परन्तु मैं तो यायावर हूँ। मुझे विज्ञान में पसंद है रसायन शास्त्र, जो सभी नागरिकों को मिलता है। जब व्यक्तियों के सम स्वभाव का अध्ययन और मिलान किया जाता है तो केवल रसायन शास्त्र को ही मिलाया जाता है। वहीं, किसी व्यक्ति, समुदाय, क्षेत्र, राष्ट्र के व्यक्तियों के सम्बन्धों को केमिस्ट्री के मिलान से ही समझा जाता है। उनके पारस्परिक सम्बन्धों की प्रगाढ़ता आंकने के लिए उन्हें केमिस्ट्री से मिलाया जाता है। न कि वर्तमान युग की भौतिक समृद्धि और धन समृद्धि जनित शैक्षिक योग्यता, कम्प्यूटर साइंस और अन्य चिकित्सकीय/अभियांत्रिक विषयों के मिलान के आधार पर सम्बन्धों की खटास-मिठास और उन्नति के लिए मिलाया जाता है। 

संभवतया उस भाव को समृद्ध करने के लिए मेरे गुरुवर मास्टर श्री यशपाल सिंह, डॉ डी कुमार, डॉ सैन, प्रो पी सी गुप्ता, प्रो राजेंद्र अग्रवाल, प्रो एच पी तिवारी और प्रो जे सिंह सर्वोपरि हैं, जिन्होंने मुझे रसायन विषय में समृद्ध किया, योग्य किया। खासकर प्रो एच पी तिवारी द्वारा एमएससी केमिस्ट्री फाइनल ईयर में जो पाठ गहनता पूर्वक पढ़ाया गया, उसी से मुझे सीएसआईआर रिसर्च फेलोशिप प्राप्त हुआ, जिससे मैं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन पाया और अपने परिवार पर आर्थिक बोझ बनने से मुक्त हुआ। इस राशि ने मेरे मनोबल को बढ़ाया और बाद की आशातीत उपलब्धियों की नींव बना। पुनः दिव्य, भव्य, वैश्विक धरातल पर आस्था केंद्र महाकुंभ 2025 की उपलब्धि पर चर्चा करें तो यह महाकुंभ उत्कृष्ट उत्तरप्रदेश की उत्कृष्ट प्रबंधकीय व्यवस्था का अनुपम उदाहरण है माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी की अद्भुत, अदम्य और प्रभावशाली नेतृत्व क्षमता का। इसलिए आएं हम गौरव और गर्व से कहें कि हम उत्तरप्रदेश के निवासी हैं।

मसलन, उसी का छोटा सा कर्मठ और स्वयं अपने लिए कहूं तो यायावर, फक्कड़, हरफनमौला, गरीबों के प्रति अंतःकरण में गम्भीर वेदना, पीड़ा के निवारण के प्रति संकल्प बद्ध प्रयागराज की तपोभूमि से कर्मक्षेत्र में बसे व सेवा वाला दिनेश चंद्र जो सूर्य की ऊष्मा और चंद्रमा की शीतलता को व्यक्तित्व में समाहित कर जौनपुर में कार्य करते हुए महाकुंभ 2025 में सेवाभाव से कार्य करने के अवसर से हृदय से आनंदित होकर कार्य व सेवा की भावना से तीरथ प्रयागराज के प्रति उनकी निष्ठा और धर्मपरायणता को प्रदर्शित कर सेवा कर रहा हूँ। 

प्रयागराज की श्रेष्ठता के सम्बन्ध में कहा गया है कि जिस प्रकार ग्रहों में सूर्य और चन्द्रमा श्रेष्ठ होता है, उसी तरह तीर्थों में प्रयागराज सर्वोत्तम तीर्थ है।- 

“ग्रहाणां च यथा सूर्यो नक्षत्राणां यथा शशी।

तीर्थानामुत्तमं तीर्थ प्रयागाख्यमनुत्तमम् ।।”

वहीं, स्कन्द पुराण, अग्नि पुराण, शिव पुराण, ब्रह्मपुराण, वामन पुराण, बृहन्नारदीय पुराण, मनुस्मृति, वाल्मीकीय रामायण, महाभारत, रघुवंश महाकाव्य आदि में भी प्रयागराज की महिमा का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। 

दरअसल, प्रयाग में त्रिवेणी के तट पर केवल गंगा, यमुना तथा अदृश्य सरस्वती का संगम ही नहीं अपितु अनेकानेक सम्प्रदायों, संस्कृतियों एवं ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का भी अद्भुत संगम विद्यमान है। शास्त्रों के अनुसार जहां गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों का संगम हो वह ब्रह्मलोक और विष्णुलोक के बराबर का स्थान हो जाता है।

वहीं, महर्षि वेदव्यास के अनुसार, तीर्थराज प्रयाग में यज्ञ करना या यज्ञ आदि क्रियाओं में सम्मिलित होने से मनुष्य के सारे पाप, पुण्य में परिवर्तित हो जाते हैं, ऐसी तीर्थराज प्रयाग की महिमा अद्भुत है, अपरंपार है। निःसन्देह तीर्थराज प्रयाग एक ऐसा पावन स्थल है, जिसकी महिमा अधिकांश धर्म ग्रंथों में वर्णित है। तीर्थराज प्रयाग को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रदाता कहा गया है। ब्रह्मपुराण के मुताबिक, यह स्थल सभी तीर्थों में श्रेष्ठ है- “प्रकृष्टत्वात्प्रयागोऽसौ प्राधान्यात् राजशब्दवान्।”

– डॉ दिनेश चंद्र सिंह

(लेखक उत्तरप्रदेश के जौनपुर जनपद के जिलाधिकारी हैं।)

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